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عرض المشاركات من نوفمبر, ٢٠١٩

समस्या का सामना करने से बनती है बात | Samasya Ka Saamana Karane Se Banatee Hai Baat

समस्याओं से भागने से वे आपसे दूर नहीं होतीं, बल्कि दुगने जोर के साथ वापस आती हैं। मैं जब ग्यारहवीं कक्षा में था, तो मुझे अपनी साइंस की किताब खोलना बिलकुल नहीं सुहाता था और मैं हमेशा अपने पसंदीदा विषय गणित में ही लगा रहता था। मुझे गणित के सवाल करना अच्छा लगता था, पर मैंने साइंस के बारे में कभी ध्यान नहीं दिया। जब परीक्षा नजदीक आई, तो मुझे घबराहट होने लगी और मुझे इस विषय की तैयारी के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।  आप में से बहुत से लोग भी अपनी नापसंद चीजों और समस्याओं से बचने के लिए ऐसा ही कुछ करते होंगे। जब आप समस्याओं से दूर भागते हैं, तो इसका हांगेज यह मतलब नहीं कि वे भी आपसे दूर हो जाती हैं, बल्कि वे तो वापस आकर और ज्यादा ताकत से आपके दरवाजे पर दस्तक देती हैं। मैं साइंस की पढ़ाई से कतराता था, लेकिन परीक्षाएं करीब आने पर मैंने महसूस किया कि महज नापसंदगी के आधार पर मैं इससे बच नहीं सकता।  हमेशा याद रखें:-  (1) समस्याओं से कभी न भागें। कुछ देर शांति से बैठकर विश्लेषण करें कि ऐसा क्यों हुआ और उन चीजों की सूची बनाएं जिनके जरिये इस पर काबू पाया जा सकता है।  (2) समस्या के

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ज्यादा सोच- विचार से बढ़ती हैं उलझनें ! Jyaada Soch Vichaar Se Badhatee Hain Ulajhanen

किसी कार्य के बारे में बहुत ज्यादा सोचने से यही बेहतर है कि उंस पर काम शुरू कर दिया जाए। बचपन से मुझे लिखने से चिढ़ थी। इसका कारण यह है कि मेरे लेखन माकरण की काफी गलतियां होती, मेरी तबीयत बहुत खराब है। इस वजह से में लिखने में अपना समय और ऊर्जा बर्बाद क्यों करू, लिखने की अपेक्षा बोलकर अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना ज्यादा सरल है। काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा।  आखिर फरवरी 2007 में मेरे गुरु ने भुझे अपने नेतृत्व संबंधी अनुभवों को कागज पर उतारने के लिए मजबूर किया। मैं इसके लिए हिचक रहा था और मैंने न लिखने के लिए उनसे हजार बहाने बनाए. लेकिन गुरु पीछे पड़ गए और उन्होंने मुझे बचने का कोई मौका नहीं दिया। आखिर मैंने अपने विचारों को लेखनबद्ध करना शुरू किया। मेरे लिए लिखना वाकई कठिन था और अपनी मर्जी के बिरुद्ध यह कार्य करने के कारण मैं अक्सर दिमागी उलझन में फंस जाता, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा और मेरे लेखन में प्रवाह आ गया।    इससे मुझे एक महत्वपूर्ण सबक मिला - किसी कार्य के बारे में बहुत ज्यादा सोचने से वही बेहतर है कि उस पर काम शुरू कर दिया जाए।' सोचना शुरू करते

सफलता की कुंजी संकल्प शक्ति | Saphalata Kee Kunjee Sankalp Shakti

अच्छे उददेश्यों के पीछे का हठ ही दुढ संकल्प कहलाता है। आधी सफलता संकल्प को दृढ़ता में ही छिपी रहती है। वेसे तो सामान्यतया हठ ठीक नहीं माना जाता लेकिन ग्लानीवश हठ हो और इसकी पूर्ति का उद्देश्य सही हो तो हट भी गुण बन जाता है। राजा उत्तानपाद की टो पत्नियां थीं सुनीति और सुरुचि। इनसे उन्ह दो पुत्र हुए ध्रुव और उत्तम। एक बार राजा सिंहासन पर बैठे थे ठनकी गोद में उत्तम बैठा था तभी ध्रूव बहां आए।  वे भी अपने पिता की गोद में बैठना चाहते थे । यह जानकर ध्रुव की विमाता सुरुचि ने ताना मारते हुए कहा- तुम तपस्या कर मेरी कोख से जन्म लो, तभी राजा की गोद में बैठ सकते हो। इस बात से भ्रुव ने बड़ा अपमानित महसूस किया। उनके पिता राजा उततानपाद रानी सुरुचि को अधिक स्नेह करते थे,  अतः वे भी मौन रहे। धुव ने नारद से प्रेरणा ली और पाँच वर्ष की आयु में यमुनातट पर मधुवन में तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने इन्हें बर दिया था, वे सब लोकों, ग्रेहों, नक्षत्रों के ऊपर आधार बनकर स्थित रहेगे। इसालिए उनका स्थान ध्रुबलोक कहलाता है। तपस्या के पश्चात ध्रुव राज्य में लौटे और राज्य प्राप्

Behind a True Story Never Give Up - Inspirational Story of Abraham Lincoln

हमारे सपने तो बड़े-बड़े होते हैं किंतु उनको साकार करने के लिए हम न तो कठोर श्रअम करते हैं, न समय देते हैं और न ही हम में सब्र होता है। कोशिश करते हो, फिर भी सफलता नहीं मिलती तो निराश मत होओ करन उस व्यक्ति को याद करो  जिसने 21साल की उम्र में बार्ड मेंबर का चुनाव लड़ा और हार गया। 22वें वर्ष में शादी की, पर असफल रहा। 24वें वर्ष में व्यवसाय करना चाहा, फिर नाकाम रहा। 27वें वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया। 32वें वर्ष में सांसद पद के लिए खड़ा हुआ, पर मात खा गया।  37वें वर्ष में कांग्रेस की सीनेट के लिए खड़ा हुआ, किंतु हार गया । 42वें वर्ष में फिर सांसद पद के लिए खड़ा हुआ और फिर हार गया। 47वें वर्ष में उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ, पर परास्त हो गया, लेकिन वही व्यक्ति 51 वर्ष की उम्र में अमेरिका का राष्ट्रपति बना। नाम था- अब्राहम लिंकन। हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करी, कामवानी जरूर मिलेगी। प्रयत्न और पुरुषार्थ सीखना है तो चींटी से सीखो। चींटी अपने से पांच गुना वजन लेकर दस बार दीवार पर चढ़ती है, गिरती है।  चढ़ती है, गिरती है। मगर हिम्मत नहीं हारती। ग्यारहवीं ब

Manjil Ko Pane Ke Liye Sapne Dekhna Jaroori Hai

मंजिल को पाने के लिए सपने देखना जरूरी है। विकेंद्रीकरण के इस युग में सपना ही वह कुंजी है, जो हर एक को बांधे रखती है। सभी सफल लीड़सं के पास उस लक्ष्य का सपना होता है, जिसे वे हांस्सिल करना चाहते हैं। यह सपना उनके हर प्रयास और शक्ति के पीछ़े की उरजा बन जाता है, जो उन्हें सभी सभ से सफलतापूर्वक निकलकर ले जाता है। जब लीडर के पास सपना होता है, तो कह एक मिशन पर होता है। लक्ष्य पूरा करने के लिए घंटों मेहनत की जाती है। व्यक्तिगत अधिकार दरकिनार कर दिए जाते हैं, क्योंकि हिस्सों से अधिक महत्वपूर्ण होती है संपूर्ण टीम। समय को पंख लग जाते हैं, मनोबल शिखर पर होता है, असामान्य उपलब्धि की कहानियां जन्म लेती हैं और प्रतिबद्धता मूल सिद्धांत होती है।  क्यों? क्यांक लोडर के पास एक संपना है। एक बार हेलन केलर से पूछा गया, अंधे पैदा होने से भी बुरी बात वया होगी?' उनका जवाब था, 'आखे होने के वाद भी सपने न देखना। यह दुखद है कि बहुत से लोग लीडर के पद पर है, परंतु उनके पास उस संगठन के लिए कोई सपना नहीं है, जिसका वे नेतृत्व कर रहे हैं। सभी महान लीडरों के पास दो चीजें अवश्य होती हैं- वे जानते हैं क

Real Story in Hindi भुनभुनाना बंद करें | Bhunabhunaana Band Karen

भुनभुनाना बंद करें अपने हालात पर हमेशा रोते-खीझते रहने और इसके लिए दूसरों पर दोष मढ़ने के बजाय अगर खुद अपना भाग्य बदलने के लिए कुछ करें, तो आप अपने प्रतिस्पर्द्धिों से अधिक तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। गाहकों को अच्छी सर्विस देना आपके हाथ में है, क्यॉंकि अच्छी सविस आपके अंतःकरण पर निर्भर करती है। वर्षों पहले में न्यूयॉर्क(अमेरिका) में जेएफके एयरपोर्ट पर टैक्सी की प्रतीक्षा कर रहा था। थोड़ी देर बाद एक टैक्सी आकर मेरे सामने रुकी। उसमें जो बात मैंने सबसे पहले नोटिस की बह यह कि टैक्सी बिलकुल चकाचक और साफ- सुथरी थी। उसका ड्राइवर काफी बना-ठना और स्मार्ट दिख रहा था। उसने अपना परिचय कुछ इस तरह दिया, मैं वैली यानी आपका ड्राइवर हैं। जब तक मैं आपका साजो-सामान अपनी टैक्सी के ट्रंक में लोड करता हूं, मेरी दिली तमन्ना है कि आप मेरी टैक्सी सर्विस के मिशन के बारे में पढ़ लें।  यह कहते हुए उसने एक कार्ड मेरी तरफ बढ़ा दिया। उसमें लिखा था, मेरा मिशन अपने ग्राहकों को दोस्तान माहौल में जल्दी- से-जल्दी, सुरक्षित और कम-से- कम कीमत पर उनकी मंजिल तक पहुंचाना है। इन पंक्तियों को पढ़कर मैं तो भौचक रह ग

जिम्मेदारी, अधिकार और जवाबदेही | Jimmedaaree, Adhikaar aur Javaabadehee | Responsibility, Authority and Accountability

जब जिम्मेदारी और अधिकार एक साथ होते हैं, तभी लोग सचमुच सशक्त बनते हैं। अगर आप लोगों को काम करने की पूरी स्वतंत्रता नहीं देते हैं, तो दुनिया भर का प्रशिक्षण भी बहुत सीमित सफलता देगा। जैसा जनरल जॉर्ज एस. पैटन ने एक बार कहा था, 'कभी भी लोगों को यह न बताएं कि उन्हें काम कैसे करना है। उन्हें सिर्फ यह बताएं कि क्या करना है। वे अपनी चतुराई से उसे करने का तरीका खोजकर आपको आश्चर्यचकित कर देंगे।' हालांकि आप लोगों को इतना स्वतंत्र भी नहीं छोड़ सकते कि किसी तरह का तंत्र ही न रहे, परंतु आपको उन्हें रचनात्मकता की पर्याप्त स्वतंत्रता भी देनी चाहिए।  इसके लिए आपको उन्हें तीन बड़ी चीजें देनी होगी: है वमो विकास मंत्र जिम्मेदारी, अधिकार और जवाबदेही। कुछ लोगों को इन तीनों में जिम्मेदारी देना सबसे आसान काम लगता है। हम सब चाहते हैं कि हमारे आसपास के लोग जिम्मेदार हों। हम जानते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है। कुछ लीडर्स के लिए यह ज्यादा मुश्किल होता है कि कर्मचारियों को जिम्मेदारी देने के बाद वे हमेशा के लिए उससे मुक्त हो जाएं। खराब मैनेजर अपने कर्मचारियों के काम के हर छोटे-छोटे विवरण को नि

महापुरुष खुद गढ़ते हैं अपना व्यक्तित्व Read in Hindi | Great men create their own personality ! Mahaapurush Khud Gadhate Hain Apana Vyaktitv

मूलत: व्यक्तित्व का संबंध उन गहराइयों से है, जो हमारी चेतना को नियंत्रित करती हैं। और हमारे आचरण में अभिव्यक्त होती हैं। संसार में जितने भी सफल व्यक्ति या महापुरुष हुए हैं, इसलिए नहीं कि वे अलौकिक प्रतिभा के धनी थे अथवा साधन-संपन्न थे, बल्कि इसलिए कि वे महान व्यक्तित्व के स्वामी थे विश्व के महापुरुषों व्यक्तियों की जीवनियां हमें बताती हैं कि सभी ने अपने व्यक्तित्व का विकास कर जीवन को अनुशासित किया और उसे निश्चितृ दिशा तथा गति प्रदान कर ये अपने उद्देश्य तक पहुंचने में सफल हुए। असली विजेता वह है जिसने एक सार्थक जीवन बनाने की कला सीखकर सफल स्थायी सफलता हासिल की है।  मूलतः व्यक्तित्व का संबंध उन गहराइयों से है जो हमारी चेतना को नियंत्रित करती हैं अर्थात जो हर क्षण हमारे व्यवहार, आचरण और हमारे कार्यकलाप जीने की और क्रियाओं (चेप्टाओं) में अभिव्यक्त होती हैं। मनोवैज्ञानिकों का भी यह मानना है कि व्यक्तित्व का संबंध केवल व्यक्ति के बाहा गुणों से नहीं है, उसके आंतरिक गुणों से भी है, जैसे चरित्र-बल, आत्मविश्वास, रुचि, लगन उत्साह, एकाग्रता आदि। यथार्थ में आंतरिक गुणों के विकास से ही आ

कर भला, हो भला A Beautiful Hindi Story with Real Story

एक छोटे-से शहर में, एक छोटा-सा बच्चा दरवाजे- दरवाजे भटकता, कुछ छोटी-मोटी चीज़ं बेचता था, ताकि वह अपनी पडाई जारी रख सके। एक दिन भरी दोपहर में चलते-चलते वह चककर निदाल हो गया। उस दिन उसका सामान भी न बिका था उसे इतनी जार का भूख लग आई थी कि एक कदम और चलना दूभर था। उसने जैव में हाय डाला, तो पाया कि जेब में मात्र एक दस पैसे का सिक्का था, जिसर कुछ भी खरीद पाना मुमकिन न था। भूख के हावो लाचार यालक ने सोचा कि अगर जीना है, तो अगते घर से रोटी मांगकर खाना होगा। इसी निर्णय के साथ वह थोड़ा साहस जुटाकर आगे बदा एक घर के आगे रुका और इसी इरादे के साथ दरवाजे पर दस्तक दी। एक भद्र महिला ने दरवाज़ा खोला और सवाल किया- 'बोलो वेटा ।"  महिला को सामने देखकर इतनी देर से भूख से जुझ रहे बालक का आत्म सम्मान जागृत हो उठा। उसने रोटी मंगिने की वजाय सिर्फ एक गिलास पानी मांग लिया। उस महिला ने बह़े प्यार से बालक को बिठाया और अंदर चली गई। बालक की उस निदाल हालत को देखकर महिला ने अंदर से पानी के स्थान पर एक बडे गिलास में दूध लाकर उस मासूम बच्चे को धमा दिया। चकित बालक ने पहले तो उस दयालु महिला का चेहरा देखा औ

अपनी क्षमता तक पहुंचने की उन्हें शक्ति दें

जिन्हें आप सशक्त बनाना चाहते हैं, शुरुआत में उन्हें आसान काम दें और धीरे- धीरे जिम्मेदारियां व अधिकार बढ़ाएं। जत्र आपको खुद पर और उन लोगों पर विश्वास हो जाता है, जिन्हें आप सशक्त बनाना चाहते हैं, तो आपका लक्ष्य यह होना चाहिए कि शुरुआत में आप उन्हें तुलनात्मक रूप से छोटे व आसान काम दें और धीरे-धीरे उनकी जिम्मेदारियां तथा अधिकार बढ़ाएं। आप जिन लोगों के साथ काम कर रहे हैं, वे जितने अनुभवहीन होंगे, इस प्रक्रिया में उतना ही अधिक समय लगेगा।  लोगों को सशबत बनाते समय मार्गदर्शन के लिए जरूरी है :  1. उनका मूल्यांकन फरें लोगों को सशक्त बनाने की प्रक्रिया उनके मूल्यांकन से शुरू होनी चाहिए। अगर आप अनुभवहीन-लोगों को बहुत जल्दी बहुत ज्यादा अधिकार दे देते हैं, तो वे असफल हो सकते हैं। अगर आप बहुत अनुभवी लोगों के साथ बहुत धीमे चलते लीडरशिप मंत्र जिम डॉरनैन हैं, तो वे कुंठित और हतोत्साहित हो सकते हैं। कई बार जब लोडर्स दूसरों की क्षमताओं का गलत मूल्यांकन करते हैं, तो परिणाम हास्यास्पद हो सकते हैं।  2. उनके आदर्श बने- ज्ञान, योग्यता और इच्छा से संपन्न लोगों को भी यह जानने की जरूरत होती

राख के ढेर में भी उम्मीद की किरण Beautiful Story in Hindi with full Meaning

वस्तुत: कठिनाइयों एवं संकटों के माध्यम से ही ईश्वर हमें बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। जब कोई व्यक्ति आत्मुग्ध होता है तो वह अपनी उपलब्धि के बारे में गलत अनुमान लगा लेता है। ज्यादातर लोग अच्छे उद्देश्य लेकर चलते हैं और उसके मुताबिक काम करते हैं तो उसका अच्छा ही परिणाम मिलता है। कोई भी व्यक्ति, जो निगशाजनक ढंग से अपने किए का मूल्यांकन करता है, तो उसके अच्छे उद्देश्यों में विरोधाभास पैदा हो जाते हैं। कुछ लोग अपना काम उस ढंग से करते हैं जो उन्हें. सुविधाजनक लगता है और शाम को संतुष्टि की भावना लिए घर चले जाते हैं। वे अपने काम का मूल्यांकन नहीं करते। ऐसा माना जाता है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने कार्य को समय के भीतर खत्म करने का इरादा रखता है और अगर इसमें विलंब होता है तो उसके नियंत्रण के बाहर की बात होती है। काम में देरी करने का उसका कोई इरादा नहीं होता, लेकिन अगर उसके काम का तरीका या आलस्य देरो का कारण बनता है. तो क्या यह इरादतन नहीं होता? मेरा युवा दिनों का अच्छा अनुभव रहा है। उन दिनों मेरे भीतर तीव्र इच्छाशक्ति थी। मेरी इच्छा ज्यादा से ज्यादा कुछ अच्छा सीखने की और ज्यादा से ज्य

अपडेट रहें या कम बोलें Stay updated or say less Beautiful Article in Hindi

किसी भी वस्तु विशेष की सही जानकारी न होने पर उसके बारे में न बोलना ही बेहतर है। ज्यादा बोलकर बेककूफ साबित होने से अच्छा है कि आप कम बोलें और समझदार होने की मिसाल पेश करें । है आधुनिक पंचतंत्र कथा है। एक बार की यात है, एक सौफ्टवेयर इंजीनियर नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे मैठकर अपनी पेटियम मशीन पर प्रोग्राम तैयार करने में व्यस्त था। यह संडे मार्केट में इन प्रोग्राम्स को बेचकर अपने लिए रोटी की जुगाड़ करता था। एक दिन जब वह प्रोग्राम बनाने में मशगूल था, तभी उसकी मशीन भरभ टेयल से नीचे नदी में जा गिरी। उस साफ्टवेयर इंजीनियर ने बचपन में सुनी पंचतंत्र कथा (लकड़हारा और उसकी कुल्हाड़ी) से प्रेरित होकर नदी देव को तपस्या करनी शुरू कर दी। नदी देव उसकी महीने भर की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और सॉफ्टवेयर इंजीनियर से तपस्या की वजह पूरछी। ईजीनियर ने उनको बताया कि नदी के गर्भ में उसका कंप्यूटर गिर गया है, अतः नदी देव उसे लौटाने की कृपा करें। नदी देव ने उसकी इमानदारी की परीक्षा लेने की ठानी और डुबकी लगाकर माचिस की डिब्बी जितनी बड़ी एक वस्तु पूछा-क्यो यहा वस्तु निकाल कर उसे दिखाते हुए क्

गलतियां से सीखकर सुधरता है मनुष्य - Man learns from mistakes and improves Beautiful Story in Hindi

गलतियां हमें स्वयं को सुधारने का अवसर प्रदान करती है। इन्हें टाला नहीं जा सकता, इन पर नियंत्रण किया जा सकता है। बात सन 1955 की है प्रो. सारभाई धुंबा के दौरे पर आए। उनको नोज-कॉन जेटेसनिंग मैकेनिज्य (रॉकेट के आपभाग को शेष आाचे से नियंत्रि विसमोट करके अलग करने को प्रणाली) का संचालन करके दिखाया जाना था। हमने प्रो. साराभाई से अनयोध किया कि वे औपचारिक रूप से इस तापीय प्रणाल्ती को टाइमर के माध्यम से शुरू करें। प्रो. साराभाई मुस्कुराए और कटन दया दिया लेकिन शुरू नहीं हुई। हम सब अवाक रह गए। मैने प्रनोद काले की वरफ देखा, जिसने टडमर, सरकिट को डिजाइन किया था। इस सब इ असफलता के कारणों का विश्लेषण करने में लग गए किर हमने टनर ुक्ति को हटाकर तापोय प्रणालो को सोधे हो सकिट से जोड़ दिया।   प्रो. साराभाई ने दोबारा कटन दबाया और तापीच प्रणाली शुरू हो गई। साराधाई ने हमें बधाई दे। इस्के चात प्रो. साराभाई के सचिव ने मुझे फोन कर रात के खाने के बाद उनसे मिल लेने को कह मैं थोड़ा घकायाः साराभाई ने मुझे गर्मजोशी के साथ दधाई दी। उसके बाद के उस घहना पर आए, जो उस दिन रुवह घाटेल हुई थी। प्रो. साराभाई ने

Shani Aarti || शनिदेव आरती || Jai Jai Shani Dev Maharaj Sune Aur Dekhe || Full Video Download Kare

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श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकरू सुधारी - हनुमान चालीसा गुलशन कुमार जी की आवाज मे सुने और देखे । हनुमान चालीसा Full Download करे

Lyrics - हनुमान चालीसा हिंदी मे !   श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुण्डल कुँचित केसा हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेउ साजे शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन बिद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचन्द्र के काज सँवारे लाय सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावैं अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते

[Digital Marketing Kya Hai?] डिजिटल मार्केटिंग क्या है? डिजिटल मार्केटिंग क्या है?

What is Digital Marketing in Hindi? – आज के युग में सब ऑनलाइन हो गया है। इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है और हम इसके माध्यम से कई सुविधाओं का आनंद केवल फ़ोन या लैपटॉप के ज़रिये ले सकते है।  Online shopping, Ticket booking, Recharges, Bill payments, Online Transactions (ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसक्शन्स) आदि जैसे कई काम हम इंटरनेट के ज़रिये कर सकते है । इंटरनेट के प्रति Users के इस  रुझान की वजह से बिज़नेस Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) को अपना रहे है ।  यदि हम market stats की ओर नज़र डालें तो लगभग 80% shoppers किसी की product को खरीदने से पहले या service लेने से पहले online research करते है । ऐसे में किसी भी कंपनी या बिज़नेस के लिए डिजिटल मार्केटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है।    डिजिटल मार्केटिंग का तात्पर्य क्या है? [Digital Marketing Kya Hai?]  डिजिटल मार्केटिंग क्या है?  डिजिटल मार्केटिंग क्या है?  अपनी वस्तुएं और सेवाओं की डिजिटल साधनो से मार्केटिंग करने की प्रतिक्रिया को डिजिटल मार्केटिंग कहते है ।डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्

What is FASTag & what are the benefits of using FASTag?

Fastag  is the easiest, quickest and cheapest way to pay the toll transaction. Radio Frequency Identification (RFID) technology is used for making toll payments directly from the prepaid or savings account linked to it. It is fixed on the windscreen of your vehicle and enables you to drive through toll plazas without stopping for cash transactions. Benefits: No need to pay cash. Reduces Queue time in toll plazas Saves Fuel Reach the destination on time. Get 2.5 % cashback on all toll transactions Where can I get a FASTag? What is the process of installation? Indian Highways Management Company Limited (IHMCL) (a company incorporated by National Highways Authority of India) and National Payment Corporation of India (NPCI) are implementing this program with help from Toll Plaza Concessionaires, FASTag Issuer Agencies and Toll Transaction Acquirer (select banks). After December 1, non-FASTag users will be charged double the fee if they pass through FASTag-on

फास्टटैग अकाउंट कैसे खुलवाया और कैसे रिचार्ज करे How Do I Use, Activate, or Recharge a FASTag

Fastag एक्टीवेट करने का तरीका :- सेल्फ-एक्टीवेशन: FASTag 'बैंक-न्यूट्रल' है, अर्थात, जब आप POS टर्मिनल या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से इसे खरीदते हैं तो कोई भी बैंक FASTag को प्री-असाइन नहीं किया जाता है। ऑनलाइन FASTag DIY (Do-It-Yourself) की पर आधारित है, जहां आप 'My FASTag मोबाइल App में वाहन के विवरण दर्ज करके इसे खुद से ही एक्टिवेट कर सकते हैं। एंड्रॉइड स्मार्टफोन उपयोगकर्ता Google Play Store से My FASTag App डाउनलोड कर सकते हैं और iPhone यूजर्स Apple Store से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। आपको मोबाइल ऐप से मिलेगी सारी जानकारी  इसके बाद, आपके पास My FASTag मोबाइल ऐप का उपयोग करके अपने किसी मौजूदा बैंक खाते के साथ FASTag को जोड़ने की सुविधा मिलती है। NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) प्रीपेड वॉलेट की सुविधा My FASTag मोबाइल ऐप में भी उपलब्ध है, जहां आप पैसे डाल सकते हैं और अपने टोल शुल्क को सीधे बैंक खाते से कटवाने के बजाय प्रीपेड वॉलेट से भुगतान कर सकते हैं। हम आपको पहलेही बता चुके है की फास्टैग कैसे काम करता है कहा से खरीदे सकते है ये सब आपको बता चुके है ।

फ्री फास्टैग टोल कार्ड :1 दिसंबर से अनिवार्य कर दिया गया है जाने कहां से मिलेगा और कैसे काम करेगा जाने हिंदी मे पूरी जानकारी

फ्री फास्टैग टोल कार्ड की पूरी जानकारी : अगर आप अपनी गाड़ी लेकर टोल से गुजरते हैं , तो आपके लिए एक दिसंबर का दिन बेहद खास रहने वाला है। क्योकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि 1 दिसंबर, 2019 से सभी वाहनों, निजी और वाणिज्यिक के लिए FASTag भारत मे सभी टोल पर अनिवार्य हो जाएगा । जानकारी के अनुसार जिन वहानों में फास्टैग नहीं लगा होगा उनको टोल टैक्स का दोगुना भुगतान करना होगा इसलिए जरुरी है कि आप अपने वाहन के लिए FASTag खरीद लें।  अपने फास्टैग के बारे मे हमारी पहले की पोस्ट मे पड़ा होंगे अगर नहीं पड़ा है तो आप इस लिंक पर क्लिक कर के पड़े की FASTags है क्या   ? Read This Post :- फास्टैग Customer Care Toll Free Numbers :- फास्टैग कैसे काम करता है जाने और क्या होता है  एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है फास्टैग । ये दिखने मे एक क्रेडिट या डेबिट कार्ड की थे तहर है । हालांकि, ये दिखने मे इस का आकार   क्रेडिट कार्ड से आधा या उससे छोटा भी होता है। इसमें एक माइक्रो चिप लगी होती है जिसके अंदर आपके वाहन से संबंधित सारी जानकारी मौजूद रहती है। जैसे